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संपूर्ण कर्मकाण्ड प्रयोग

आचार्य
  • ₹251/Month
  • Duration: 21 Months
धर्म का एक महत्वपूर्ण भाग कर्मकांड भी है, धर्म पद का एक ही तात्पर्य होता है सत्य सनातन धर्म, एवं वो सभी शब्द जो अन्य भाषाओं के हैं व धर्म के पर्याय अथवा समानार्थी रूप से प्रयुक्त किये जाते हैं ये युक्तियुक्त नहीं है क्योंकि उनमें धर्म के लक्षणों का सर्वथा अभाव होता है। हमारा प्रयास कर्मकांड के प्रति जागृत करना है और इस हेतु तीन भिन्न वेबसाइटों के माध्यम से कर्मकांड संबंधी चर्चा करते हैं।

**कर्मकाण्ड प्रयोग कक्षा - संपूर्णानंद संस्कृत वेदिक प्रतिष्ठान**

**पाठ्यक्रम:**

1. **नित्यकर्म प्रयोग:**

   - **प्रातः जागरण का महत्व व विधान:** 

     - प्रातः काल में उठने के महत्व और उसके सही विधि की जानकारी।

   - **संध्या विधान:**

     - संध्या का महत्व और उसका सही प्रयोग।

     - त्रिकाल संध्या प्रयोग।

     - आचमन की विधि।

     - मार्जन की विधि।

2. **विनियोग:**

   - विनियोग की प्रक्रिया और उसके विभिन्न प्रकार।

3. **प्राणायाम का विनियोग संकल्प मंत्र व प्रयोग:**

   - प्राणायाम के विभिन्न प्रकार और उनका संकल्प मंत्र व सही प्रयोग।

4. **अघमर्षण:**

   - **सूर्यार्घ्य विधि:**

     - सूर्यार्घ्य देने की विधि।

   - **सूर्यार्घ्य प्रकार:**

     - सूर्यार्घ्य के विभिन्न प्रकार और उनका महत्व।

5. **विभिन्न प्रकार के सूर्यार्घ्य प्रयोग:**

   - सूर्यार्घ्य के विभिन्न प्रयोग और उनके महत्व।

6. **सूर्योपस्थान के प्रकार व प्रयोग:**

   - सूर्योपस्थान के विभिन्न प्रकार और उनका प्रयोग।

7. **गायत्री जप विधान:**

   - गायत्री मंत्र के जप की विधि और उसका महत्व।

यह पाठ्यक्रम आपको नित्यकर्म और कर्मकाण्ड के सभी महत्वपूर्ण प्रयोगों और विधियों की विस्तृत जानकारी प्रदान करेगा, जिससे आप अपने दैनिक जीवन में धार्मिकता और आध्यात्मिकता को बढ़ावा दे सकेंगे।