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दुर्गा सप्तशती

आचार्य
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दुर्गा सप्तशती एक अद्भुत ग्रंथ है, जो न केवल देवी दुर्गा की महिमा का बखान करता है, बल्कि भक्तों को आंतरिक शक्ति, सुरक्षा और समृद्धि की प्राप्ति में भी सहायक है। इसे नियमित रूप से पढ़ने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं।
**दुर्गा सप्तशती** हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जो देवी दुर्गा की स्तुति और पूजा के लिए समर्पित है। इसे **चंडी पाठ** या **देवी माहात्म्य** भी कहा जाता है। यह ग्रंथ मुख्य रूप से **मार्कंडेय पुराण** में मिलता है और इसमें देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों का वर्णन और उनकी महिमा का गुणगान किया गया है।

### दुर्गा सप्तशती का संरचना

1. **संख्यानुसार**:
   - दुर्गा सप्तशती में कुल 700 श्लोक होते हैं, जो तीन प्रमुख अध्यायों में विभाजित हैं:
     - **अध्याय 1**: **महाकाली, महालक्ष्मी, और महासरस्वती की स्तुति**।
     - **अध्याय 2**: **देवी दुर्गा द्वारा महिषासुर का वध**।
     - **अध्याय 3**: **दुर्गा के विभिन्न रूपों और उनके भक्तों के प्रति कृपा का वर्णन**।

2. **महाकाल का महात्म्य**:
   - इस ग्रंथ में देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों का विस्तार से वर्णन किया गया है, जिसमें वे विभिन्न राक्षसों और दुष्ट शक्तियों का वध करती हैं। 

3. **पूजा विधि**:
   - दुर्गा सप्तशती का पाठ विशेष अवसरों पर, जैसे **नवरात्रि** में किया जाता है। इसे शक्ति, सुरक्षा और समृद्धि प्राप्त करने के लिए पढ़ा जाता है।

### दुर्गा सप्तशती के लाभ

- **विघ्न नाश**: दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से जीवन में आने वाले विघ्न और बाधाएं दूर होती हैं।
- **सुरक्षा और शांति**: यह पाठ मानसिक शांति और सुरक्षा का अनुभव कराता है, साथ ही भक्तों को आंतरिक शक्ति प्रदान करता है।
- **भक्तिपूर्ण जीवन**: यह पाठ श्रद्धा और भक्ति के साथ पढ़ा जाता है, जिससे भक्त का जीवन आध्यात्मिक रूप से समृद्ध होता है।

### निष्कर्ष

दुर्गा सप्तशती एक अद्भुत ग्रंथ है, जो न केवल देवी दुर्गा की महिमा का बखान करता है, बल्कि भक्तों को आंतरिक शक्ति, सुरक्षा और समृद्धि की प्राप्ति में भी सहायक है। इसे नियमित रूप से पढ़ने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं।