वैदिक संध्या
आचार्य
यस्यां सा सन्ध्या” [पञ्चमहायज्ञ विधि] = भलीभांति ध्यान करते हैं, अथवा ध्यान किया जाये परमेश्वर का जिसमें, वह क्रिया सन्ध्या है। " "उपासना - जिसको करके ईश्वर ही के आनन्दस्वरूप में अपने आत्मा को मग्न करना होता है; उसको उपासना कहते हैं। ' करना ।